उत्तराखंड में कोरोना से जंग लड़कर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी का एक संक्रमित ट्रेनी आईएफएस अस्पताल से डिस्चार्ज हो गया है। आईएफएस की जांच की दोबारा भी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। प्रदेश में कोरोना के अब तक पांच मरीज सामने आए थे जिसमे से पहला मरीज ठीक हुआ है। अभी चार संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है।
कोरोना संक्रमण से ठीक हुए ट्रेनी आईएफएस ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि कोरोना बीमारी से घबराने और डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है बल्कि डॉक्टरों की ओर से दी जा रही सलाह का पालन करें। इसके साथ ही सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन भी करें। कहा कि यह बीमारी शारीरिक और मानसिक समस्या की तरह है।
उन्होंने बताया कि वे 28 फरवरी को ऑफिशियल ट्रेनिंग के लिए स्पेन गया थे। 11 मार्च को सुबह दिल्ली और शाम को देहरादून अकादमी पहुंचे। इस बीच विदेश से आने की वजह से उनके जांच की गई। एक साथी को में कुर्ला की पुष्टि होने के बाद सैंपल जांच के लिए भेजा गया। 16 मार्च को उनका सैंपल जांच के लिए भेजा गया और 19 को रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
कोरोना पॉजिटिव होने की बात सुनकर एक बात तो वे बहुत डर गए। उन्होंने फोन पर ही घरवालों को इसकी जानकारी दी। दीक्षित बताते हैं कि ये सब पता लगते ही घरवाले भी घबरा गए और वे फोन पर रोने लगे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और ठीक होने की ठान ली। उन्होंने बताया कि अगर डॉक्टरों की पूरी सलाह मानी जाए तो यह बीमारी एक दम ठीक हो सकती है। उन्होंने इसके लिए दून अस्पताल के डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, कैंटीन संचालक और अन्य कर्मचारियों का उनकी मेहनत के लिए आभार जताया है।
कोरोना संक्रमण से ठीक हुए ट्रेनी आईएफएस ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि कोरोना बीमारी से घबराने और डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है बल्कि डॉक्टरों की ओर से दी जा रही सलाह का पालन करें। इसके साथ ही सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन भी करें। कहा कि यह बीमारी शारीरिक और मानसिक समस्या की तरह है।
उन्होंने बताया कि वे 28 फरवरी को ऑफिशियल ट्रेनिंग के लिए स्पेन गया थे। 11 मार्च को सुबह दिल्ली और शाम को देहरादून अकादमी पहुंचे। इस बीच विदेश से आने की वजह से उनके जांच की गई। एक साथी को में कुर्ला की पुष्टि होने के बाद सैंपल जांच के लिए भेजा गया। 16 मार्च को उनका सैंपल जांच के लिए भेजा गया और 19 को रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
कोरोना पॉजिटिव होने की बात सुनकर एक बात तो वे बहुत डर गए। उन्होंने फोन पर ही घरवालों को इसकी जानकारी दी। दीक्षित बताते हैं कि ये सब पता लगते ही घरवाले भी घबरा गए और वे फोन पर रोने लगे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और ठीक होने की ठान ली। उन्होंने बताया कि अगर डॉक्टरों की पूरी सलाह मानी जाए तो यह बीमारी एक दम ठीक हो सकती है। उन्होंने इसके लिए दून अस्पताल के डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, कैंटीन संचालक और अन्य कर्मचारियों का उनकी मेहनत के लिए आभार जताया है।
दून अस्पताल कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित
राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल को अब पूरी तरह से कोरोना संक्रमित और कोरोना के संदिग्ध मरीजों के इलाज के लिए आरक्षित कर लिया गया है।इसे देखते हुए अस्पताल में कार्य करने वाले डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य कर्मचारियों के लिए द्रोण होटल के अलावा चिकित्सा अधीक्षक के पुराने कैंप आवासा को उनके रहने और भोजन इत्यादि की व्यवस्था के लिए रिजर्व किया गया है।
इन सभी डॉक्टरों और कर्मचारियों को यहीं से खाने-पीने का सामान और आराम करने की सुविधा उपलब्ध की जा रही है। कई डॉक्टर और कर्मचारी तो रात को होटल और चिकित्सा अधीक्षक के पुराने आवास में ही रहने को मजबूर हैं। ऐसे में कॉलेज प्रशासन ने भी इस चुनौती से पार पाने के लिए युद्धस्तर पर काम शुरू कर दिया है।
इन सभी डॉक्टरों और कर्मचारियों को यहीं से खाने-पीने का सामान और आराम करने की सुविधा उपलब्ध की जा रही है। कई डॉक्टर और कर्मचारी तो रात को होटल और चिकित्सा अधीक्षक के पुराने आवास में ही रहने को मजबूर हैं। ऐसे में कॉलेज प्रशासन ने भी इस चुनौती से पार पाने के लिए युद्धस्तर पर काम शुरू कर दिया है।